प्रगतिशील युग में तकनीकी प्रशिक्षण का योगदान आप के सामाजिक परिवेश में शिक्षा की प्रसंगिता पर विचार करे तो यह बात स्पस्ट हो जाती है कि प्राचीन समय में शिक्षा का उद्देश्य केवल ज्ञार्नाजन कर समाजिक एवं नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखकर सुयोग्य एवं सभ्य नागरिक बनाना था, परन्तु आज की आवश्यकता को ध्यान में रखकर विचार करे तो यह बात साफ हो जाती है कि सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों के साथ आर्थिक मूल्य पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है | इसलिए आज की शिक्षा का उद्देश्य ज्ञार्नाजन कर सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों को ध्यान में रखकर सुयोग्य, सभ्य नागरिक बनाने के साथ रोजगार युक्त होना भी है |
रोजगार परक शिक्षा के लिए व्यवसायकी शिक्षा, प्राविधि शिक्षा तथा औद्योगिक शिक्षा प्रदान करना है | तकनीकी प्रशिक्षण के अन्तर्गत नवयुवकों/नवयुवतियों को उद्योग धन्धों से युक्त शिक्षा व प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर (स्वरोजगारयुक्त) बनाया जाता है | इस क्षेत्र में बेरोजगार की काफी समस्या है | सरकार द्वारा जो संस्थान बनाये जाते है, उनमें प्रवेश संख्या पर्याप्त नहीं है | इसलिए क्षेत्र के बहुत अधिक शिक्षित युवक/युवतियों जो स्वरोजगार/रोजगार के लिए प्रशिक्षण लेना चाहतें है, राजकीय संस्थानों में प्रवेश न मिलने से प्रशिक्षण से वंचित रह जाते है |
उपरोक्त बिन्दुओं को ध्यान में रखकर इस संस्थान की स्थापना की गयी है | ताकि युवक/युवतियों का रोजगार/स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रशिक्षण का सुअवसर प्राप्त हो सकें | इसे संस्थान की प्राथमिकता है कि प्रशिक्षणार्थियों को तकनीकी प्रशिक्षण के साथ-साथ सामाजिक एवं नैतिक शिक्षा देकर रोजगार/स्वरोजगार के साथ सुयोग्य एवं सभ्य नागरिक बनाना है |
Thanks.
Mr. ____
Principal
Copyright © Pt. Rammurat Ramsurat Mishra Private ITI 2024. All Right Reserved.